सवारथ री परिपाटी छोड़ां, देस आपणौ चमन करां,

गांव गळी चौबारै पसरियौ, राग द्वैस रो दमन करां,

भाईपणै री जाजम ढाळां, अपणायत मंनवार करां,

सगळा सुपनां सांच करण ने, मैणत ने किरतार करां,

सीस ऊजळौ राखण खातर, भैंट आपणौ जीवण करां,

आजादी रै उच्छब टाणै, मातभोम ने निवण करां।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : श्रवण दान शून्य ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी