किशोर कल्पनाकान्त
लूंठा कवि-गीतकार। ‘कूख पड़यै री पीड़’ कविता संग्रै सारू साहित्य अकादेमी पुरस्कार।
लूंठा कवि-गीतकार। ‘कूख पड़यै री पीड़’ कविता संग्रै सारू साहित्य अकादेमी पुरस्कार।
अै रातां है जागण री
आंसू कहाणी
आंसू क्यूं बरसावै?
अब सुपना रो सैणा-भैणा घूंघट खोलो
अेक बटावू भटकै
बरसो रे
बौ ई सागी
भगवान भलो करसी थारो
दोघड़ क्यूं रीती थारी?
दुख-सुख
गा लेवूं पूरौ गीत
कथना-तणौ गीत
कठीकर आवै अे?
क्यूं बुहावै बावळी
माणीगर आवै है
मरवण! तार बजा
मौत अर जिनगानी
नांव सुमरणौ भूल्यौ
नुंवली गीता रो ज्ञान
फागण आयो राज
रात घणेरी प्यारी
सावण में नी आवड़ै
उडीक रौ गीत