

किशोर कल्पनाकान्त
लूंठा कवि-गीतकार। ‘कूख पड़यै री पीड़’ कविता संग्रै सारू साहित्य अकादेमी पुरस्कार।
लूंठा कवि-गीतकार। ‘कूख पड़यै री पीड़’ कविता संग्रै सारू साहित्य अकादेमी पुरस्कार।
आभै-तणो गीत
अगमघाट्यां माय भटकीजतो मैं
अे दिवलै री जोत
आखतौ होग्यौ
अंधारी-जातरा
अणगायो-गीत
बिना सबद रो प्रेमगीत
बिना सबद रो प्रेमगीत
चोरटो-चाँद
दीवा-सम्मेलण
जात निसरगी
कूख-पड़्र्यै री पीड़
क्रान्ति
कुण के है बौ?
मैं बागी तो कोनी होयग्यो के
म्हैं सोचूं हूं
ओ काळधिराणी कंकाळी
ओळखाण
ओपरी बीजळी
पीड़ायीजतो-मन
प्रीत बिना क्यां री जिनगानी
रंग
रीत
उडीक