(अेक )

गरजोड़ा का सात बचन
थांका बी छा 
अर म्हारा बी...

पण था
हारी भर-भर बी
उदलग्या
अर म्हूं
हमेस तोली जाती रही
बचन की आंण में
घरबारै की रीकांण में

धरम की असी ताकड़ी में
जी में न्हं जाणै
कतना जुगा सूं कांण छी
बायरा को सत
सीता को सत छै

जाणू छूं! जी सत् नै
रामजी ई न्हं समझ्या
थां तो फेर
कोरा मनख छौ
मनख हो'र बी रहता तो
भाग सराती।

 

(दो)

आंगणा में धूळ रहै जावै
तवा पै रोटी बळ जावै
या फेर भाग फाट्या सूं पैल्यां
नींद न्हं खुले कोई दिन

वू दिन
ओळमां का ताता चीमटा टेकता सासुजी
गिणा देवै छै कुळ-खाप
बायरां का कुळ में
बायरां ई न्हं जनमै
जनमै छै सृस्टि

फेर बी
बिधाता की घड़त को यौ आंतरौ
अेक बायर ई क्यूं भुगतै छै आखी ऊमर?
कुळ तो बेटा को बधै छै
बायर का भाग में तो
ऊभी आबौ
अर आडी जाबौ लिख्यौ छै
जुगां सूं

जुग बीतग्या
अर न्हं जाणै कतना जनमा सूं
ठुकी छै हाल बी
बायर के हरदै
धरम की फांस।

 

(तीन)

म्हीना में सब दिन पवित्तर
अर च्यार दिन अपवित्तर क्यूं?

चूल्हा-चौका सूं नराळो बास
देहळ पुजाई लछमी
एक लोठ्या पाणी कै लेखै
ताकती रदै छै परेण्डी

सांच तो या छै
जै बायर की देही सूं
बस! ये च्यार दिन बी बारै कर दे तो
सूख जावैगी
डमस में डूब्या मनख की अम्मरबेल।

 

(च्यार) 

बेटी होई तो
मरजाद की चंता
कोराणी होई तो
कुळ की चंता

माई होई तो
औलाद की चंता
माई की चंता में
हमेस भेळी रही
म्हारा ब्याव की चंता

पोथी-पाटी न्हं होती तो
न्हं होती
म्हनै म्हारी पिछाण
कोई हरदै की आंख मूं
कदी देखै तो तोल पड़े

हरेक
मरद का उणियारै
झांकै छै म्हारौ
बायर को उणियारौ।

 

(पांच)

म्हूं चुडैल
म्हू डाकण
तू भूत
अर जींद

तू भूत हो'र बी
पूजातो रह्यौ थानक
जींद बण'र सारतो
रह्यौ कारज

अर म्हाकौ कांई सदा
पीपळयां पै रह्यौ बासो
कहबा का देवता कै सागै
म्हा बायरा का भाग तो
मरया पाछै बी रहया जस का जस

हमेस बागती रही चुडैला
साधबूध गांवबारै रह्या डेरा
जीवता सता म्हाकै डील
ताता चीमटा का घाव देख्यां छै कदी

देखज्यौ
म्हाका काळज्या पै उघड्यां
मरदां का द्या लीला डाह देख ज्यौ
बिधाता कदी फेर बी म्हानै
बेटी बणा'र जनमावै कोई घरां तो
डाह समेत जनमाज्यौ

यां बेटा की चाहन्या
रखाणबा वाळा नै बदी तो लागै
कै कतना जनमा सूं लोभ की लाई में
भळसी जा रही छा म्हां बायरां

हमेस सोचूं
बायरां के पांती फेर कसी जूंण ओवैगो सुख
जींनै
न्हं चुडैल बणर साता मिली
अर न्हं सीता बण'र।

स्रोत
  • सिरजक : ओम नागर ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोडी़
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