ओम नागर
चावा कवि-गद्यकार। 'जद बी मांडबा बैठूं छूं कविता’ कविता संग्रै माथे केंद्रीय साहित्य अकादमी रो युवा पुरस्कार।
चावा कवि-गद्यकार। 'जद बी मांडबा बैठूं छूं कविता’ कविता संग्रै माथे केंद्रीय साहित्य अकादमी रो युवा पुरस्कार।
बापू के कांधै सूरज
बापू की चसमा
बापू की बातां
बापू की चरणपादुकावां
बापू की धौवती
बापू की लाठी
बरखा की प्रेम पाती
बरतन
बायरा : पांच कवितावां
भासा कै भरोसै
किरकेट अर म्हारो गांव
गांव में पैली बैर भाग'गी छी कोई छोरी
जद बी मांडबा बैठूं छूं कविता
कठी छै प्रीत
खादी अेक बच्यार
मोबाइल
प्रेम
प्रेम : च्यार कवितावां
राजपथ पै नागतणौ किसान
सगपण
सगुन
थारी ओळ्यूं को मतलब
उन्हाळा का दिन
यां दिनां गांव : कीं चितराम