(1)

प्रेम

दिवळा कै ओळी-दोळी

तीतरयां की फरक्यां

वा तांई

ज्यां तांई

संदी बळ'र

न्हं हो जावै

भसम।

(2)

प्रेम सांचौ सुमिरण

राधे-कृष्ण

राधे-स्याम

राधे–मोहन

सीता-राम

हीर-रांझा

लैला-मजनूं

ढोला मारू

मूमल-महेन्दर

तू अर म्हूं

म्हूं अर तू

(3)

प्रेम

आंख की कोर पै धरयौ

अेक सुपणौ

जै रोजीना

आंसू की गंगा में करै छै

अस्नान

अर

निखर जावै छै

दूणौ।

(4)

प्रेम

आधौ

होता सतां बी

टटोळ लै छै

सांस की तताई

पिछाण लै छै

प्रीत को असल उणियारौ।

स्रोत
  • सिरजक : ओम नागर ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोडी़