ओम नागर
चावा कवि-गद्यकार। 'जद बी मांडबा बैठूं छूं कविता’ कविता संग्रै माथे केंद्रीय साहित्य अकादमी रो युवा पुरस्कार।
चावा कवि-गद्यकार। 'जद बी मांडबा बैठूं छूं कविता’ कविता संग्रै माथे केंद्रीय साहित्य अकादमी रो युवा पुरस्कार।
जन्म: 20 Nov 1980 | अन्ताना,भारत
ओम नागर रो जलम 20 नवम्बर, 1980 नै अन्ताना गाम रै कस्बे अटरू बारां जिलै मांय हुयो हो। आपरी भणाई कोटा विश्वविद्यालय सूं हिन्दी अर राजस्थानी मांय स्नातकोत्तर अर पी-एचडी ताई री करी ही।
आप राजस्थानी अर हिन्दी साहित्य मांय कवि, अनुवादक, डायरी लेखक रै रूप मांय खास ओळखाण राखता थकां राजस्थानी भासा रै खेतर घणो उल्लेखणजोग योगदान दियो है।
राजस्थानी मांय छप्योड़ी पोथियां रा संग्रै 'छियांपताई’ प्रीत’, 'जद बी मांडबा बैठूं छू कविता’, 'बापू : अेक कवि की चितार’, 'फरोगड़ी’ (कविता संग्रै), राजस्थानी री दुजी रचनावां 'भला मनख्यां की भली बातां’ (राजस्थानी कथेतर), 'हाट' (राजस्थानी डायरी),अर राजस्थानी माय अनुवाद रै रूप में 'जनता बावळी होगी’ (शिवरामजी के नुक्कड़ नाटक संग्रै 'जनता पागल हो गई है’) 'कोई अेक जीवतो छै’ श्री लीलाधर जगूड़ी री कविता संग्रै अनुभव के आकाश में चाँद’) 'दो ओळ्यां बीचै’ श्री राजेश जोशी का कविता संग्रै 'दो पंक्तियों के बीचै’ आद रो राजस्थानी उल्थो पण करयो हो।
संपादन रै रूप में राजस्थानी पत्रिका 'राजस्थानी गंगा’ रै हाड़ौती विशेषांक अर 'स्वतंत्रता सेनानी’ 'काला बादल’ का आत्मकथात्मक संस्मरण पुस्तक काला बादळ रे! 'अब तो बरसा दे बळती आग' अर मराठी पत्रिका “आकठ’ रो संपादन पण करियो है। आपरी रचनावां रो आकाशवाणी अर दूरदरसन सूं प्रसारण अर देस-परदेस री नामी गिरामी पत्र-पत्रिकावां में हिन्दी अर राजस्थानी मांय आपरी रचनावां छपती रेवै है।
आपनै मिल्या पुरस्कार अर सम्मान आप नै देस अर परदेस री कैई प्रतिष्ठित साहित्यिक अर सांस्कृतिक संस्थावां नै उल्लेखजोग साहित्य सिरजण सारू इनाम इकराम इण भांत है राजस्थानी कविता संग्रै 'जद बी माँडबा बैठूँ छूँ कविता' सारू साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली रो, युवा पुरस्कार, कथेतर (डायरी) 'निब के चीरे से' सारू भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्ली रो, नवलेखन पुरस्कार, शिवराम का हिन्दी नुक्कड़ नाटक संग्रै रा राजस्थानी अनुवाद 'जनता बावळी होगी' सारू राजस्थानी भाषा, साहित्य अरं संस्कृति अकादमी, बीकानेर रो 'बावजी चतर सिंह अनुवाद पुरस्कार राजस्थानी कविता संग्रै बापू : अेक कवि की चितार' सारूं गणेशीलाल व्यास ‘उस्ताद’ गद्य पुरस्कार, राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर रो हिन्दी कथेतर गद्य पुस्तक ‘निब के चिरे से’ सारू कन्हैयालाल सहल पुरस्कार आद मिल्या है।