आपरी भासा बोलण री

सरकारी दवायती नीं व्हैण सूं

आकळ्योड़ै घबराय नै

उण डोकरै अेक दिहाड़ै

बकायला सबदां में अटकतै

दीवी अरजी महामहिम नै

हजूर!

आपरै राज में जे म्हांनै इत्तौ अख्तियार नीं

के चौवटै चौपाल में

होकौ पीवतां म्हे होका री भासा में कर सकां बंतळ

तौ धांसी री अळूझ

अर धूड़ म्हांरा जीवणा में।

लारला सित्तर बरसां सूं

अपरोगी भासा वपराय

गूंगा व्हियां केड़ै

म्हांनै आमरण अनसन कर

मरण री रजा दिरावौ, हुकुम!

अबै म्हां सूं टाबरां नै नीं दिरीजै सीख

भासा बायरा सबदां में

आप फरमावौ

किणविध कहीजै म्हां सूं-

‘के बेटा! आपरौ पांणी पीवज्यौ

खावज्यौ आपरौ धांन

आपरा मसांण में बळज्यौ

आपरी भासा में हांसज्यौ

आपरी भासा में देवज्यौ डाड, म्हां नै

आपरी भासा बोल करज्यौ कपाळी दाग

आपरी भासा बोल करज्यौ तरपण

आपरी भासा बोल तिरावज्यौ फूल गंगा जी में

म्हांरी पीढी रै मुगातर रौ मामलौ छै; बेटा!’

हजूर री दवायती नीं व्है

तौ राजस्थानी व्हैण नै करणौ ईज पड़ैला थांनै

टोटकौ!

हजुरात सूं हरमेस मोटी व्है संस्क्रति

सत्ता सूं हरमेस मोटौ व्है असतीत

राज सूं हरमेस मोटौ व्है नागरिकपणौ

छोरां नै पोटाय देवां किकर

अबै आपनै किण विध समझावां?

पण हजूर!

करां कांईं?

अबै म्हांनै पराई भासा में

‘तितली के पंख’ कोनीं लागै फूठरा

‘वर्षा की रिमझिम’ कोनीं आवै दाय

कांईं करां कै ‘रिमझिम’

म्हांरी ‘झिरमिर’ बण जावै

अर म्हांरौ अंतस झिरमिर में भींज जावै।’

करां कांई सरकार!

के म्हे पाधरा जाय गळबाथां मिळां जलमभोम सूं

अर बिचाळै नीं आवै राजनीत

के मर जावां, बळ जावां

अर बिचाळै नीं आवै घरम!

म्हांरी जीभ अर भासा बिचाळै नीं आवै राज!

स्रोत
  • पोथी : अबोला ओळबा ,
  • सिरजक : चन्द्रप्रकाश देवल ,
  • प्रकाशक : सर्जना, बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम
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