म्हैं मारूं चिरळाटी

जद रैवै मून

इण मून अर

चिरळाटी रै बिचाळै

कोई है

जको उडावै म्हारो मखौळ

म्हैं जाणूं

उणनै चोखी तरियां

जको देखै म्हारी आंख्यां में

अर म्हनै देखावै

आपरी आंख्यां में

बै बीत्योड़ी बातां

जकी कोनी ठा

म्हारै टाळ किणी बीजै नै

म्हनै लागै

बो है

अंस म्हारो ईज

जको म्हैं हूं

अर जको

बणनो चावूं

बीं रै बीच रो कोई!

स्रोत
  • पोथी : ऊरमा रा अैनांण ,
  • सिरजक : आनंद पुरोहित 'मस्ताना' ,
  • संपादक : हरीश बी. शर्मा ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादमी दिल्ली
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