उगेरुं याद
पांख्यां बारै आयौ मैं
सुणिया समाचार- झड़गी आंगळी!
जिणरै लमूट करतो
पगलिया धरती पैलीपोत रा।
म्हारा जी’सा
थांरी मिरतू में जलमी
म्हारी लाचारी।
अजै लग फिरूं बिचूरतो-
मुड़दा तिणकला,
जंगी थांभ,
जोंवतो थांरी आंगळी।
मां दीवी थांरी फोटू
कैह्यौ - अै हा थारा बाप जी।
मंढ़वाई म्हैं मूंघै फ्रेम।
बतळावै म्हारा टाबर
जिणनै दाता केय।
पण म्हैं थांरा दरसण पाऊं,
फोटू में नीं
मां री देही रळियोड़ै उजियाड़-
बसियोड़ी अणबोली थांरी उडीक में!
फोटू नीं
म्हनै चाईजती
म्हारै सुपनां रै साइनी
थांरी मूरत जी’सा
म्हारी सूं सवाई सांवठी।
लावतौ म्हैं-
कीरत रा कूंकूं-पगल्या,
धोखै रा समदर-झाग,
सैमुंडै किस्मत रो रूसणो,
पीड़ री चिरळाटी कै किलोळ,
देवती वा सबनै छाती आसरो।
थांरी छाती जी’सा
म्हारी तिजूरी होंवती-
जिणरै बारै,
कुत्तर कर दीन्यो म्हारो बाळपणो,
ऊमर रा ऊंदरां!