हूंणी नै निमस्कार

कै हाथी

लरड़ियां रै आगै-पाछै

पिदतौ हांडै

नै चिड़ी चूंच में उठाया फिरै

सौ मण रौ लक्कड़ौ

पण मांटी री भींत तौ मांटी री...

डिग्यां सरै

अर चुणांव—चौमासै रौ गोबर!

नीं लीपण जोग...

नीं थापण जोग!

म्हावतां सूं मसकरी करता

नै जात-जेवड़ां रै बटका भरता

भूका भेळा बोटर

गुळ-अम्मल में गैरा डूबै

अर पोलिंग-टेसण तांई पाछा कोनी ऊबरै

थे जांणौ

म्हैं जांणां

वै जाणै

कै फूड़ भवजाई रौ मैल फागण में ऊतरै।

स्रोत
  • पोथी : पगफेरौ ,
  • सिरजक : मणि मधुकर ,
  • प्रकाशक : अकथ प्रकासण, जयपुर
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