जद भी आवे याद
होवे उळझण
मिनख
तसवीर सूं बतळावे
वीं री आडी देखे
अणमणो हो जावे
लागे ज्यूं जाणे वा पडूत्तर देवे
सुणे, पाछो कईं नकईं
जरूर कहवे।
“पण तसवीर कदै नी बोले”
बोले मिनख खुद
अर् आपी’ज सुणे
आतम री आवाज
तसवीर तो कोरी
दीठ री आस है।
सांच तो
मिनख रे
अंतस रो विस्वास है।”