किणी रो दुख नीं है घणो
किणी रो सुख नीं है कम
फरक दीठ रो है
ओय-हाय करण सूं
जे निवेड़ो हुवै दुखां रो तो आव
म्हैं भी कूकूं थारै सागै
नीं जणै
बांट सुख
दुखां में मत हो दूबळो
कुणसा दोनूं ई रैवणा है
हरमेस
रैवणो है भरोसो
रैवणी है आस
रैवणौ अंजस
रैवणी है आपरै हुवण री हूंस
फेर कांई दुख
अर कांई सुख
परभात पछै रात अर
रात पछै परभात आवणै जियां है दोनूं
इण सूं बेसी इणां री कांई गत
कांई औकात..।