म्हैं रोजीनां देखूं

कै थूं जद

सोवै—

पालणियै री अेवड़-छेवड़

थारौ च्यांनणौ म्हां सू बातां करै...

अेक सोनाळी भींग

थांरै होठां में

आपरै पटियै रौ सिणगार खोलै

नै पांखड़ियां तोलै

नान्हां-नान्हां पगलिया

गुड्डै जैड़ा हाथ अर वां में निजर रा

रेसम डोरड़ा

मुधरी कंवळी सांस

ज्यूं पूंन में

हालै

कोई काची कूंपळ

कठै है थांरौ मज्जूर बाप

किण ठोड़ है थांरै जलम री धणियांणी

कांई वै दोन्यू जांणै

कै समै रौ

आखौ उजास ऊभौ है

थांरै सिरहांणै

पांयतांणै!

स्रोत
  • पोथी : पगफेरौ ,
  • सिरजक : मणि मधुकर ,
  • प्रकाशक : अकथ प्रकासण, जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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