सिंज्या रै पैले तारै नै देख

मून छोड़ती सुवासणीयां

भैली होय नै जिको राग उकेरे है

खेतां मांय परहित सारुं

भणत करता लासिया जिको गावे है,

आप रै सुख दुख नै पांतर

डोकरियां जिको हरजस गावे है

कोई कठे रो भी रेवासी व्हे

पण हैली सुण'र हरेक री

अंतरात्मा रा तार झणकार करै

धरती रै किणी खूणे मांय

मावड़ियां जिको हिल्लो गावे है

जिको कवितावां अमर हो जावे है

वांरा कविसर अग्यात होवे है।

स्रोत
  • सिरजक : रेवंत दान बारहठ ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी