हेली! जीवण-राग पहेली।

जिण में संग चलै नीं धेली॥

भेळो करतां कोडी-कोडी

ऊमर ढळगी, गळगी गोडी

अब तो मन में चेत निगोड़ी।

अण हद खाई-खेली।

हेली! जीवण-राग पहेली॥

मोह माया मद रेतां रळसी

मोतड़ली कद टाळी टळसी

आयो जीं नै जाणो पड़सी

कुछ आगै या पै ’ली।

हेली! जीवण-राग पहेली॥

घूम रयो जग जीवण गेड़ो

ईं में कुछ नेड़ो, कुछ छेड़ो

पार लगाणो पड़सी गेड़ो

खुद नै खुद रो गैली।

हेली! जीवण-राग पहेली॥

स्रोत
  • पोथी : बिणजारो ,
  • सिरजक : ताऊ शेखावटी ,
  • संपादक : नागराज शर्मा ,
  • प्रकाशक : बिणजारो प्रकाशक पिलानी (राज.) ,
  • संस्करण : 26
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