आंखड़ल्यां रो पाणी मरग्यो, वाणी रो सत्कार,
लोक-दिखावो इस्यो बध्यो, गमग्यो सदाचार !
गीत प्रीत रा आंसू बणग्या, दोखी बणग्या यार,
पल में सारा रिस्ता रुळग्या, देख्यो अैड़ो प्यार !
अेक हाथ में प्रीत पकड़ ली, दूजै में तलवार,
चौड़ै-धाड़ै छांगण लाग्यो, खुद रो ई आधार !
मिनखाचारो धरत्यां बड़ग्यो, बधग्यो पापाचार,
लाज-सरम सड़कां पै सजगी, बणकै कारोबार !
साफ-सुथरा गाभा पैरै, मन में भर्यो विकार,
मिनखपणै नै सरमां मारै, सगळां पर धिक्कार !
तारणहारां बणकै बैठ्या, जुलमां रा सिरदार,
जात-धरम रा अफंड रचाता, माटी रा गद्दार !
साच बोलणियां पागल बाजै, झूठां री भरमार,
पीस्सै आगै सीस झुकावै, आ मोबी मोट्यार !
ऊंचा-ऊंचा म्हैल झुकाया, करियो पीठ पै वार,
नीच-पारधी बेचण चाल्या, बडकां रा संस्कार !
बुलबुलिया-सा टाबर कटज्या, मचज्या हाहाकार,
बेआबरू हुंवती अबला कैवै-रोको अत्याचार !