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नीति काव्य पर सबद
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8
लेखा देना रे धनी का
गरीबदास
मन रे तूँ स्याणा नहीं अयाणा रे
हरिदास निरंजनी
हमार रौ हाळ
ऊमरदान लालस
जिवड़ा जाय कहा तूँ रहसी वे
हरिदास निरंजनी
चेतावनी भजन
ऊमरदान लालस
रे चित चिंता जिनि करे
बखना जी
मन मगन भया जब क्या गावै
गरीबदास
जब मन होवे माया का
फूलीबाई