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पद8

दां औगण दुखदाई नैं रे

ऊमरदान लालस

भगति भावै राम भगति भावै

रज्जब जी

संतौ आवै जाइ सु माया।

रज्जब जी

संतौ भेष भरम कछु नाहीं

रज्जब जी

वैराग्य-वचन

ऊमरदान लालस

दोस नहीं थारै में दोसत

ऊमरदान लालस

दरसन सांच जु सांई दीया

रज्जब जी

राम राइ राखि लेउ जन तेरा

रज्जब जी

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