गुरु पर दूहा

मध्यकालीन काव्य में

गुरु की महिमा की समृद्ध चर्चा मिलती है। प्रस्तुत संचयन में गुरु-संबंधी काव्य-रूपों और आधुनिक संदर्भ में शिक्षक-संबंधी कविताओं का संग्रह किया गया है।

दूहा25

गुरु बिन अन्धा वे सकल

किशनदास जी महाराज

वार पार गुरु गम अगम

किशनदास जी महाराज

गुर सिष सूं समझाइ करि

हरिदास निरंजनी

भाग भला शिष्य गुरु मिला

किशनदास जी महाराज

अज्ञानी कै देवादास

स्वामी देवादास जी

श्री गुरुदेव प्रसाद ते

उम्मेदराम बारहठ

सतगुर कहि समझावियो

कान्होजी बारहठ

बरस बोहत वाणारसी

कान्होजी बारहठ

निराकार आकार बिच

किशनदास जी महाराज

बावन आखर भेद बोह

कान्होजी बारहठ

करता व्रणउ गुण कहूं

कान्होजी बारहठ

अलख लेख में गुरु नहीं

किशनदास जी महाराज