चित हित सूं कर चाव, हरि नै सुमरो हर समय।
जमदूतां रो दाव, चलै न तो पर, चकरिया॥
भावार्थ:- हे चकरिया,मन (सच्चे) से, प्रेम-सहित, उत्साह (उमंग) के साथ हर समय हरि का स्मरण करो; ताकि यमदूतों को तुम्हें पकड़ कर ले जाने का अवसर ही नहीं मिले (परमात्मा के नाम-स्मरण से स्वतः ही तुम्हारा कल्याण हो जाएगा और तुम सीधे विष्णु-धाम जाओगे) ।