आज री नारी आंतरो बणतौ बांध : तीन चित्राम बायरो, पाणी अर आकास बीतियोड़ा बगत में नारी दरद दीठ रो आंतरो धरती री मुळक जस जिन्दगी कारज कविता मौत म्हारी पांती रो सूरज फूल तोड़बो मना है पिंजरै में पंछी रंगां रौ संसार रेत रा चितराम रोटी सीख सूखी नदी सूखग्यो रूंख ठौड़