आपां

सगळा साथीड़ा

अेक-दूजै रौ

उणियारौ देख’र

गुलाब री भाँति खिला

मनड़ा री बातां करां

बातां ईं बातां में

रात बीत जासी

परभात आसी

आऔ

किणीं भजन नै गाल्यां

आपां लारै-लारै चालां

फेर

दिन ऊगसी

चालणौ सूझसी

मारग तौ घणौ है

पण

हिम्मत कोनी हारणौ है

ढबवा में कोनी सार

चालण नै हुवौ त्यार

आऔ

सूता मिनखां नै जगा ल्यां

आपां लारै-लारै चालां

चरकल्यां

चीं-चीं करती उड़ जावै

टाबर

मदरसा रै मारग माथै

निजरै आवै

मजूर

कारखाना में कांम संभाळैला

करसांण खेत रूखाळैला

जठै—जठै चालालां

नुंवां मारग बणैला

आपणी

हिम्मत रै पांण

देस आगै बधैला

आऔ

नुवां—नुवां

सिरजण रा सपना सजाल्यां

आपां—लारै—लारै चालां

बीज

अकारथ कोनी जासी

मैणत री फसलां

तिरंगा रौ मान बधासी

तिरंगा रौ मान बधासी

इण रा

जस

जुगां—जुगां तांईं

सगळा मिनख गासी

आऔ

सुकारथ सूं

मिनखा जूण रौ मोल चुकाल्यां

आपां लारै—लारै चालां।

स्रोत
  • पोथी : मोती-मणिया ,
  • सिरजक : रमेस मयंक ,
  • संपादक : कृष्ण बिहारी सहल ,
  • प्रकाशक : चिन्मय प्रकाशन
जुड़्योड़ा विसै