हरिचरण अहरवाल 'निर्दोष' जलम: 1975 kota चावा कवि-लेखक। 'बेटी', 'वै बी कांईं दिन छा' अर 'बावळी' शीर्षक सूं पोथ्यां प्रकाशित।
अस्यां थोड़ी ई होवै छै बढिया लागगो बावळी बेटी हिचकी को बुलावो खेलकणां थोड़ी ई छै म्हारा हिस्सा को अहसास मिठास फरकणी! प्रेम की दो कूंपळां रेगिस्तान होग्यो