कुण्डळियौ छंद5 फोजां मैं मौजां फिरै बहु आदर सूं बोलियैं मयमत्ता मेंगळ महा रीस दबट्टे राखीजैं हयवर जिण घर हीसतां
संवैया छंद5 अपने गुण दूध दीये जळ कुं आपही जो गुन की गति जानत ऊपर सुं मीठे मुख अंतर सुं राखत रोस ऋद्धि समृद्धि रहैं इक राजी सुं रीस सुं बीस उद्वेग बधै
हरदास मीसण किशनदास जी महाराज स्वामी आत्माराम ऊदोजी अड़ींग संत सुखरामदास ओपा आढा काशी छंगाणी पृथ्वीराज राठौड़