आपही जो गुन की गति जानत अपने गुण दूध दीये जळ कुं रीस सुं बीस उद्वेग बधै ऋद्धि समृद्धि रहैं इक राजी सुं ऊपर सुं मीठे मुख अंतर सुं राखत रोस