संवैया छंद4 अंजन मंजन कैं दृग-रंजन आजु मैं देखी है गोपसुता मुख रैनि समैं सलिता मधि मैं स्यांम-सरीर लसै पट पीत
कवित्त6 एक समैं हरि राधिका सौं चन्द्र कों चकोर ज्यौं दिवाकर कों चक्रवाक जा दिनतै लगे नैंन तिहारे प्रीति के उपायन सौं भांति-भांति भायन सौं भोर पति संग ते ससंक अंक ‘जोर आली’