अर्जुन देव चारण
ख्यात कवि-आलोचक-नाटककार अर रंग निर्देसक। 'घर तौ नाम है अेक भरोसै रौ' माथै बिहारी पुरस्कार।
ख्यात कवि-आलोचक-नाटककार अर रंग निर्देसक। 'घर तौ नाम है अेक भरोसै रौ' माथै बिहारी पुरस्कार।
आज म्हारौ बाळपणौ छूट गियौ
आजादी अर सपना
आखर
आखड़ी
दुख
गांधी नै चितारतां
गवर
घर कठै है
घर कठै है
हथियार अर थारी कूंख
हिसाब री वसूली
हित्या रौ उच्छब
इतियास
जाजम रै खिलाफ
कायदौ
काळजै बायरौ
किणनै उडीकां हां
लड़ाई सूं पैली
मजूर रौ दिन
मीरां
म्हारी दीठ
नींद अर बातां
परलै री घड़ी
सबद कोस
सपना
सातवौं फेरौ
सेयर बाजार
थारी चिरळाट
थारी गाथा
थारी हूंस रा मारग
थारी काया
थूं कद जीवती ही मां
तीजी रेख
उडीक
उण री आंख्यां में
ऊंडी भखारियां
उपजतौ सवाल
वो भेजै थनै
वो झुरै