देख

जाजम माथै बैठौ है

थारौ हित्यारौ

अमल री किरची लेय

थारै त्याग री

कथा बखांणतौ

आखी बस्ती नै

मनवार कर कर

जीमावै है पांचूं पकवान

इणरै वास्तै तौ

थारौ जावणौ

खुद रै रूतबै री

ओळखांण रौ

एक जळसौ है

आपरी हित्या रौ

उच्छब तौ

देखती जा मां!

स्रोत
  • पोथी : घर तौ एक नाम है भरोसै रौ ,
  • सिरजक : अर्जुनदेव चारण ,
  • प्रकाशक : रम्मत प्रकाशन, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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