तपत रा दिन आया

अर ठांसौ ठांसौ

माठ हुय तावड़ै मांय

जपै एक हवा रौ झपकौ

आवण रौ जाप,

का जपै बरसाळै रै बादळ नै,

उण बखत म्हारै घरां माथै

उतर आवै मून,

सूनांण रा पोहरा लागै

चंवरै, भींतां अर आंगण माथै।

उण बखत मां निकाळै

जूनौ पूर, बखारी सूं बारै,

सूरत सूं छोकरै रा लायोड़ा कटपीस

अर सीड़ै उणनै जतन सूं,

ठावै रालियां,

जिकौ ओढ़सी आखौ घर

सियाळै मांय।

मावड़ चंवरै सूं काढै बरतन बारै

अर देवै वां रै तळिंगण गार सूं,

जतन सूं पाछा राखै

जिकौ परोटसी

आखी ढांणी

ब्याव-परब।

जेठ रौ सूरज

लावै रेत रै दरिया मांय

लूवां री लैरां अर

ढाणी रा ढोर झालै

छांव गूड़ी जाळां री,

उण बखत मावड़

चढ़ावै आधण गाय रै

जिकण रौ दही दूध

घर मांय बिखेर लेवै धवळ रंगी हंसी।

म्हैं म्हारै मोबायल सूं देखूं

रूस-यूक्रेन रै जुद्ध री खबरां,

अर उदासी ओढ़ लेवूं मूंडै माथै,

मावड़ हंसती लेवै झेरणौ हाथ मांय

अर बिलोवण लागै महीड़ौ।

म्हनै लागै वा जाणै है इण जुगाजुग रै सांच नै

कै सुख नी है अठै,

सुख नै बणावणौ पड़ै

टांकौ देय,

बरतन जचा,

आधण चढ़ा,

महीड़ौ बिलोय।

स्रोत
  • पोथी : डांडी रौ उथळाव ,
  • सिरजक : तेजस मुंगेरिया ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन
जुड़्योड़ा विसै