डुसक्यां रोक

काळजौ काठौ कर

उण आपरी सायधण री

मुरदा माटी री बांधी पछेवड़ा में पोट

खांधा चार कोनीं छा

इण सारू आपरै मोरां माथै लेय

सफाखाना रै बारणा सूं

वहीर व्हियौ

इण बगत उणरी आंख में नीं सपनौ छौ

नीं कोई आस-उमेद

मदत रौ भरोसौ तौ अंगे नीं

ओवरलोड जांण

ट्रेफिक रै किणी संतरी नीं रोक्यौ

उणनै स्हैर रै चौरायै

नीं मिळी

उणनै आपरै गांव रै मारग में

कठै कोई सरकार

नीं भगवांन

नीं देवता

नीं अेन.जी.ओ. नीं जात-समाज आया धकै

नीं धरम रा ठेकेदार

नीं किणी मिनखजायै बतळायौ उणनै

के बीरा! कांई पीड़ छै?

ओड़िसा री पाकी सड़क माथै

इक्कीस किलोमीटर री भांय में

उण लिया चार-पांच विसांमा

पण पूठ री पोटली जमीं माथै नीं धरी

ल्हास नै हर कठै धरण रौ कायदौ कोनीं

धोती रा पायचा खसोलियां

उळवाणै पगां निरभागी दाळीदरी

दुथणी रौ जायौ बधतौ गियौ

बधतौ गियौ

आपरी जलमभोम रै मसांण तांईं

सटकै पूग जावण री सोय में

पछै अै गाडियां, कारां, अेंबुलेंस

सगळा क्यूं छै जगत में?

पढ नै पूरी विगत अखबार में

भांनचूक व्हैग्यौ थोड़ी ताळ

आंख्यां माथलौ अभरोसौ मिटियां

म्हैं हेला मार्‌या आपनै बापू!

देखौ, मिनखीचारा रौ पोखाळौ व्हैग्यौ

संवेदनाबायरा इण जगत रा वासी

मिनख छै के हाड-मांस रा

हालता-डोलता, बोलता-भाळता पूतळा?

जिकां नै अबै किणी सूं

कोई तल्लो-मल्लौ नीं रह्यौ!

अैड़ी अबखी वेळा म्हारै चेतै आयौ

आपरौ अेक चितरांम बापू!

जिण मांय आप आपरै आस्रम में

बकरी री तूट्योड़ी टांग माथै

बांस री खपचियां देय

आली काळी माटी थेथड़ता छा

उणीज बगत सांम्ही आय ऊभग्या

देस री हालत माथै हळफळाया नेहरू-पटेल

आपसूं राय मांगता छा

आप अेकर वां कांनी नीं जोयौ

बस, पूरी लगन सूं

बोला-बोला बकरी री टांग माथै पाटी बांधता रह्या

आपरी आंख में उण वेळा म्हनै निजर आई

अेक पीड़ जिकी बकरी री छी

संवेदना रौ इत्तौ लांठौ समदर

छोळां छोळ छौ आपरै अंतस

के उणरी ठाडोळाई वाळी भिनास पसरती छी

आपरै अर उण अणबोला जिनावर रै ओळूं-दोळूं

भिनास लेय

बावड़्या नेहरू-पटेल

अर आप बकरी रौ डील पंपोळता रह्या

हवळै-हवळै।

बापू!

आपनै रांम कैवतां जेज लागी

लारै इण आवगै आजाद देस में

धीरै-धीरै आपरा व्हाला भजन वाळा ‘वैष्णव जन’

पराई पीड़ पांतरग्या!

अबै वांनै कोई नीं ओळखै।

कठै हाकौ-बेधौ के कजियौ नीं सुणियौ

तौ

कीं नीं कर्‌यां

संवेदना फोत व्हैगी

उणरी ठौड़ पसरगी गळी-गळी अदीठ हिंसा

अबै म्हे अेक देस रा नागरिक नीं

फगत हिंसक मिनखां री लांठी भीड़ रौ हिस्सौ छां

पिरथी थपियां पछै बापू!

अैड़ौ निरदै मांनखौ कदै नीं रह्यौ।

बापू!

अेकर पाछा आवौ

म्हे आपनै म्हांरी अेक नवी इजाद बतावणी चावां

‘मोब लिंचिंग’

आपरै मूंडै सूं तौ सबद

उचारीजैला कोनीं।

स्रोत
  • पोथी : अबोला ओळबा ,
  • सिरजक : चन्द्रप्रकाश देवल ,
  • प्रकाशक : सर्जना, बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम
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