हिंसा पर कवितावां

हिंसा अनिष्ट या अपकार

करने की क्रिया या भाव है। यह मनसा, वाचा और कर्मणा—तीनों प्रकार से की जा सकती है। हिंसा को उद्घाटित करना और उसका प्रतिरोध कविता का धर्म रहा है। इस चयन में हिंसा विषयक कविताओं को शामिल किया गया है।

कविता7

बाकी हिसाब

पारस अरोड़ा

मोब लिंचिंग

चन्द्र प्रकाश देवल

अहिंसा

चन्द्र प्रकाश देवल

एल्या भाई

हरीश आचार्य