आज सांच नै आंच दाझगी,
मिनखां नै अब खावै धांन।
झूठ म्हैल-माळियां पोढ़ै,
झूंपड़ियां में जगै मसांण॥
इसी घड़ी में अंधकार नै,
मतद्यौ आंख्यां रौ वरदांन॥
जच्चा बच्चा मारण लागी,
दूध सूकग्यौ, आवै खूंन।
कीड़ी छोड़ बारणौ चाली,
घर में कोनी चुगटी चून॥
आज आबरू कूंण रुखाळै,
भूख दिखावै नंगा नाच।
अब फरियाद पड़ी खाडै में,
पड़ै कागला मारै चांच॥
इसी घड़ी में अंधकार नै,
मतद्यो आंख्यां रौ वरदांन॥