गंदी हवा

कित्ती बेगी

कांनी-कांनी पसर जावै

म्हां टुकड़ा-टुकड़ां में पिछाण सकां

बदबूदार हवा नै के

पंजाब री है

दिल्ली सूं आई है।

आसाम सूं

अर बोलनगीर सूं

हवा हिन्दू है

मुसलमान

सिक्ख, ईसाई

पण है एक सीरखी- गंदी हवा

अलेखू रूंख

फूल, बाग-बगीचा रै व्हैता थकां

गंदी हवा रौ असर

बन्नाटो मारै मिनखां रै भेजै मांय

उखरड़ी व्हैगा है स्हैर

अर, कचरै रा ढोल व्हैगा है दिमाग

आफत नै तेड़ी देवती

गळतफैमियां तिरै हवावां में

कूड़ा धरमजुद्ध लड़ै लोग

मिनख मरै अर टाबर रुळै सगळी जगै

जठै सूं नीसरै

अर जठै तांई पूगै हवा

केई बार

ऊंची अर लाम्बी-चवड़ी इमारतां सूं नीसरै

लाय

सड़का, गेलां, गळियां व्हैती

गांव-गांव, ढांणी-ढांणी पूगै

भखै भोळा मिनखां नै!

भोळा थै, अर भोळा म्हैं

नीं जांण सक्या अजै तांई

के दलालां री रोटी

इण लाय में इज सिकै।

स्रोत
  • सिरजक : चंद्रशेखर अरोड़ा
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