स्यात म्हैं कालै नीं रैवूं
काल जे सूरज उगै तौ कैईजौ
हाल म्हारी मींचीज्योड़ी आंख्यां में
अेक आंसूं सूखणौ बाकी है
काल जे बायरौ बैवै तौ कैईजौ—
बाली ऊमर में अेक कामण सूं चोर्योड़ी मुळक रौ
पाक्योड़ौ फळ
हाल म्हारी साख सूं झड़णौ बाकी है
काल जे समद में उठै ज्वार री घमरोळ तौ कैईजौ—
हाल म्हारै अंतस में जम्योड़ै
पासाणी ईसर रौ खिंडणौ बाक़ी है
कालजे चाँद उगै तौ कैईजौ—
हाल म्हारी अपड़ सूं अळगी व्हेण नै
अेक माछळी म्हारै में तळफळावै है
काल जे चेतै अगन तौ कैईजौ—
हाल म्हारी बिरहण पड़छाया रौ
मसाण चेतणौ बाकी है
स्यात
म्हैं कालै नीं रैवूं...!