बा बांमणां री छोरी ही

अर मेघवाळां रै छोरै स्यूं

प्रेम करती ही।

बा मुसलमानां री लीलटांस ही

अर सिखां रै काळै सांप रै मांय

ईद सी खुशी लेंवती ही।

बो जाटां रो जबर हो

अर मजबियां री सैतूतड़ी नैं देखतो

तो बींनैं चाँद चाँद दीखता।

अै सै रा सै इनसान नीं हा।

आं री कोई जात

कोई गोत

अर कोई देस-समाज-दुनिया नीं ही।

अै एक पहाड़ री चट्‌टान मांय

छीणी-हथोड़ां स्यूं

अधूरी छिद्योड़ी मूर्तियां ही।

स्रोत
  • सिरजक : त्रिभुवन ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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