कुण?

आदमी है।

आदमी-! —?

आदमी नईं मिनख है।

मिनख नईं आदमी है।

नईं...ओ कवि है।

ढूंढ़ो अठै तो लाधै बठै।

देखै अठै तो सोचै बठै

घणै लखणा री लाडो है।

सुणी है

नै आगली पाछली

सगळी दीसै।

लारलै जनम ऊं लेर

आगलै जनम ताईं रो

हिसाब किताब जाणै

परख पारखी।

लोगां नै

कपड़ा में नागा

नागां नै कपड़ां में देख लें

पताळ फोड़ कूवां री

पताळ रो पतो लगा लै

आकासां उडै

इणरै आगै सिकरा सरमावै

किरत्यां कीरतन करण लाग जावै

सूरज स्यूं सोनो उगळावै

चांद स्यूं चांदी बरसावै

तावड़ै छिंयां रो पारखी

में आंधी रो सैंधो

तूफाना नै तोलणियो

मीठी खारी बोलणियो

आगै चालै पैल्यां बोलै

पांगळी दुनियां रा पग

आंधी दुनियां री आंख

गूंगी दुनियां री वाणी

सुंदर भावां रो उपजाणियो

धरती नै सुरग बणाणियो

हिम्मत री खैण

सगळां रो सैण

पण घण करीक बार

पतझड़ में झड़ै पत्तै ज्यूं

खाय हवा रा थपेड़ा

कदै गळी कूंचळा में

तो कदै रोई रूंखड़ां में

रुळतो फिरै

दब धरती तळै

जूण पूरी करै

इणरो मांस तो शाकाहारी ही खावै

इणरो कंकाळ

काळ में डोका चरतो फिरै।

स्रोत
  • पोथी : जूझती जूण ,
  • सिरजक : मोहम्मद सदीक ,
  • प्रकाशक : सलमा प्रकाशन (बीकानेर) ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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