वो खिण

जठै पूग बिखरगियौ

मरजादा रौ पूतळौ

थूं थारी आंखियां

कीकर ढाबियौ।

हंसिया होवैला

दस माथा कटियोड़ा

भाटौ होयगियौ होवैला समन्द

हबोळा लेवतौ

बायरौ समेट लिया होवैला

आपरा पंख

प्रिथमी पांतरगी होवैला

हालणौ

जिजक नै ऊभौ होयौ होवैला

सेसनाग,

धूजिया होवैला

दसूं दिसावां रा दिगपाळ

मन्तर रैय गिया होवैला

रिसियां रै मूंडै मांय

जस में दिरीजी होवैला

आहूती आंसुवां री

पण किणरै

कीं करियां

नीं ढबिया

अलवा बोल

बगत रौ ठठ्ठौ

थनै

नागी कर निकळ गियौ।

उण पुळ

यूं किणनै सोतोड़ी

आपरी मरजाद

दीठ नै संभाळ

टिकाई परायै मरद

जकौ

खुद नै राम कैवतौ हौ।

धरम रौ जुद्ध

थारी लाज री धजा नै चींथ

घुरावतौ ढोल

मांगतौ

थारै सत री साख

ऊभौ हौ

हियै सैल घुपोय।

हे राम रसी!

राम राम कर

थूं जोयौ

जिणरै सांम्ही

वो तौ हौ आप

राम बायरौ राम।

आंख झपकण रै समचै

जांणगी थूं

स्रिस्टी रौ आदम भेद,

इण धरती जीवै

फगत दो जात

जीतणियौ-हारणियौ

मरद-लुगाई।

जांणगी थूं

जुद्ध नीं लड़ीजिया करै

फगत रणखेतां

वो

हमेसा आंगणै सूं सरू होवै

अर

बारणै तांई

पूगतां पूगतां

होय जावै पूरण।

जाणगी थूं

मरद कदेई नीं हारै

हारै हमेसा नारियां,

रावण रै मरियां

नीं मरै रावण

वो जीवै

दूजै भेख,

जांणगी थूं

कै सराप दियां

आचमित जळ

हमेसा

धरती रै खोळै

क्यूं घालीजै

अर

क्यूं दीखै

आभै कांनी जावती

वरदानी हथाळियां।

थनै ठा पड़ी

पैली वार

कै

धणी रै होयां अपरबळी

लुगाई रै पल्लै

नीं आवै

बळ रौ

तुस जित्तौ अंस

हे बळखीण विजोगणी।

थारै सांम्ही

बिखरगियौ

स्वयंवर रौ भरम

वो म्हैल

वो दरबार

सिंघासण

मुगट

धणख

सगळां री मगसी पड़गी आब,

फगत सात सबद

थारै भरोसै री

सतखण्डी हवेली

जमींदोट कर बाजण लागा,

आं सुरां रा

सांधा खोलण

कियोड़ा थारा सगळा कळाप

किणी सारंगी

नीं सधिया-नीं सधिया-नीं सधिया।

अगनसिनांन तौ

करती रैई ही थूं

उण हरियल बाड़ी

नित सांझ सिंवार

थारौ अबोटपणौ

हौ थारौ सिणगार

पण

भरण थारी साख

नीं आयौ कोई

सभा रै बीच,

नीं मांगियौ कोई

थारै धणी सूं

परवाणौ

उणरै अबोटपणै रौ,

मरदां रा कान

कद सुणता

आपरी मां-बैन-बेटी री पीड़

ऊभी ही

ऊभी रैई

चारूं कांनी

नाजोगां री भीड़,

थारी अमर आस

पड़गी

तड़ाछ खाय

पण देह में

स्रिस्टी री धुरी सोधण वाळी

आंखियां

विदेही रौ

खण्ड खण्ड बिखरणौ

किण दीठ देखती।

आपरै हाथां

चुणी होवैला

हवेली काठ री,

निंवतियौ खुद होवैला

अगन देव नै,

होळै होळै उतरी

सैचन्नण जोत

काळी कोटड़ी,

जाई री रूखाळी

आई मां

आडी तांणी होवैला लोवड़ी,

थारै बरजियां

निसासौ न्हांक

मींची होवैला आंखियां,

थूं धीजौ धार

धर ध्यान धणी रौ

बैठगी अचंचळ

धपळका

धपळका

फगत धपळका च्यारूं मेर।

पुरूस परायौ

जे भेटै

थारी देह

जूण री जेवड़ी

होय जावै भसम,

जांणतौ हौ

जज्ञ नै जगावण वाळौ

साख्यात् अगन देव

देव पुरुस!

थारी देह रै देवरै

लगाय परकमा

सोधिया

खुद री जूण रा खोज

नैड़ौ आय

फेरियौ माथा माथै हाथ

दीनी आसीस

ओढाई

मन्तरां री चून्दड़ी

जांणै

मामै भरियौ होवै मायरौ।

निभाय आपरौ धरम

मनावतौ सुगन

थारै सुहाग रा

उण मांगी थारै सूं सीख,

विदा करण मामै नै

थूं आई

झाळां रै बार

सभा कीनी जै जैकार

थनै अंगेजण

वो आयौ आगै

धणी थारौ

जिणनै सगळा राम कैवता,

थूं कीकर बतावती

किणनै बतावती

कै

कांई कांई

दझगियौ

अर

कांई कांई बचगियौ।

स्रोत
  • पोथी : अगनसिनांन ,
  • सिरजक : अर्जुन देव चारण ,
  • प्रकाशक : सूर्य प्रकाशन मन्दिर, बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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