भाखर री जाई नै

भाटौ इज होवणौ चाइजतौ हौ

पछै म्हैं

नदी ज्यूं क्यूं पिघळी दाता!

म्हारौ पिघळणौ

पसराव है

अेक धपळकै रौ

आप उणनै

बांधणी चावता हा जग्य कुण्ड मांय।

जद जद कोई चीज बंधै

वा होय जावै भाटौ

पछै भलेई वा होवै रेत

होवै पांणी

या मिनख।

अैड़े बधणां

क्यूं बंधै कोई जीव

जकौ आखी जात नै

निबळौ कर जावै।

थारै निवंतियोड़ा

बैठा है सगळा देव

पण क्यूं कोनी आसन

म्हारै नाथ रौ?

जठै नीं पूजीजै

जाई रौ रूखाळौ

अधूरी है उठै सगळी पूजा।

अधूरौ है थांरौ जग्य

अधूरा है सगळा मन्तर

अधूरी है दियोड़ी आहूतियां

अधूरा है निवंतै आयोड़ा सगळा देव

क्यूं कै

अधूरी ऊभी है

थांरै घर री धीव।

थांरी आंखियां नै दीखै

फगत चिळकती चीजां

थांरा कांन सुणै

झूठी सोभा करतां होठा रा भणकारा

थांनै ओम् रौ पावन जाप

कीकर सुणीजतौ।

थे आकारां बंधियोड़ा

बधावणी चावौ सींव

आपरै राज री

थांनै अणंत-निराकार-अयाची रौ सरूप

कीकर दीखतौ।

हाथी री सवारी बैठणियौ

नांदियै रौ मापौ कीकर कूतै?

मा-बाप री गवाड़ी तौ

ओढाइजिया करै तारां जड़ी चून्दडी

पण आज

इण आंगणै

दझियौ है म्हारौ काळजौ।

सूग आवै है म्हनै

म्हारी देह सूं

इणरै अेक अेक अंस मांय

झबकै है थांरौ उणियारौ

म्हारौ रूं रूं सिरजियोड़ौ है थांरौ

स्यात् इणी सारूं

म्हैं कर लियौ गुमेज

नीं मांनी उण भोळै री बात

“बाप रै घर सूं

बुलावै री कैड़ी बाट!”

हंसियौ हौ सुणनै

जांणणियौ सातूं भव रा भेद।

स्यात् वो राखणौ चावतौ

म्हारै बाप रौ मान

म्है बावळी क्यूं नीं समझी

उणरै पै'लै 'ना' नै

उण कदेई नीं टोकी म्हनै

उण कदेई नीं रोकी म्हनै

पण आज पैली वार

म्हनै बरजण सारूं हिलिया हा

वे ठीमर होठ

म्हैं क्यूं नीं राखियौ

वां होठां मान

अठै पूगियां चौड़ै आयौ

सगळौ भेद

म्हारै व्हीर होवतां

वे क्यूं देखियौ हौ म्हनै यूं

जाणै देखता होवै

छेहली वार

म्हारै हाथ सूं

छूटतौ वांरौ हाथ

क्यूं ढबियौ हौ घड़ी भर

म्हारी आंगळियां पंपोळतौ

उण गळै री सोभा बणियोडौ

भुजंग

म्हारै पल्लै रै

गांठ बांध

क्यूं बैठगियौ हौ

वांरै खोळै मांय

म्हैं क्यूं नीं देखियौ

वे फेरता रैया हाथ

उण भुजंग रे डील

अर उणी मिस

मन ही मन

करता रैया बंतळ

म्हारै चीर सूं

म्हैं क्यूं नीं देखियौ

कै

बाप रै घरां पूगण नै उतावळा

म्हारा पग

आपरौ घर छोडण सूं पैला

क्यूं धूजिया हा

क्यूं आडौ आय

ऊभौ नांदियौ

घर रै बारणै

तंभाड़ियौ हौ

म्हारै पूठ देवतां

म्है क्यूं नीं देखियौ

बाप रै

घरां पूगण री

उतावळ

म्हनै म्हारै घर सूं

जुगां जुगां

आगी कर दीनीं

आपरै अर परायै रौ भेद

गवाड़ी

म्हनै यूं बतावैला

तौ म्हैं

सपनै नीं सोची

म्हनै याद राखणौ हौ

कै

आप तौ कर चुका हा

म्हारौ दान

पछै आज

अणबुलाई अणतेड़ाई

किण मूंडै आयगी अठै

म्हारै माथे माथै

हाथ फेरता फेरता

आप क्यूं फेर लियौ हौ

मूंडौ

म्हनै याद राखणौ हौ

याद राखणौ हौ म्हनै

कै बेटी नै सीख दियां

गरीबां री झूपड़ियां

झुरती हावैला

उणरी याद में

पण

राजमैलां रा करड़ा कपाट

काठ बणियोड़ा

बत्ता काठा होय जावै

याद राखणौ हौ म्हनै

कै

आं गढां री

इत्ती पोळां

फगत बेटी नै

बारै रोकण सारूं

बणाइजिया करै

इत्ता लूठां भोपाळां री

भीड़ में

अेक बेटी

आज आपरै घर में

साव अेकली होयगी

धणी री छिटकायोड़ी

बाप रै घर री आस

काढ दै आपरी जूंण

पण

पीर री छिटकायोड़ी

आपरै सासरै

पाछी घणी दोरी पूगै

आखी स्रिस्टी

आज देखैला

अद्भुत अनुष्ठान

इण जज्ञ री

हवि म्हैं

इण जज्ञ रौ

अर्ध्य म्हैं

इण जज्ञ रौ

मन्तर म्हैं

म्हैं

अबै अठै होता हूं

म्हैं हूं उद्‌गाता

म्हैं

म्हारौ

आव्हान करूंला

म्हैं बांचूला खुदनै

भाखर सूं निकळियोड़ी

नदियां

कदेइ पाछी

भाखर कांनी नीं आवै

आखी स्रिस्टी नै

तिरपत करती

वे

आपरै सरूप में

मिळ जावै पाछी

यूं पूरीजै

सिरजण जातरा

पछै म्हैं

पाछी

भाखर चढण री

जिद क्यूं करी।

स्रोत
  • पोथी : अगनसिनांन ,
  • सिरजक : अर्जुन देव चारण ,
  • प्रकाशक : सूर्य प्रकाशन मन्दिर, बीकानेर
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