दीवाळी री रात

होयो दीवां रो सम्मेलण

पारितीज्या प्रस्ताव

मेढ़्यां रा होया भाषण

आपां नै राखणा है थिर

आपणा आसण!

अबैं नी रैयग्यो दीबां रो चल्लो!

दीवाळी

छुड़ायां जावै पल्लो!

आपणी लपट-तणी चोटी

जगरमगर-तणो तिलक

बाटड़ली री जनेवू

खतरै मांय पड़गी है!

अर दिनूंदिन

गम्याँ जाय रैयी है

ग्यान-जोत!

के होसी ओरूं आगै?

तुळसी रा बिड़ला

अर मिन्दर री देळ्यां उपरां-ई

चसै लाग्या

अबैं नैनां-मोटा लोटिया

इयाँ करतां

आपां

आपणैं-ई घर मांय

होयां जाय रैया हाँ अल्पसंख्यक!

धरम-निरपेख-दीठ

आपांनै गिरदानै कोनी

अबै आपां नै कोई मानैतानै कोनी!

सूरज, चान्द, ताराँ रै पछै

आपणो म्हातम हो!

याद करो!

आपणो चौमुख चसणो

बिरमरूप मानीजतो!

आपणी अखंडजोत

सिरै’र सवायी गिणीजती

पण कठै है आज...

बो गरब-गुमान आपणो

कठै है...

पूजा हाळो थान’र मान आपणो?

(ताळीपटको होवै)

नियॉन-लाइटां चसै लागी है आज

मर्करी मांय निजर फंसण लागी है

सगळां री

फैसन री चकाचूंध

हंसण लागी है आपणै उपरां

आपणो सैंचनण-देस

चूंधीजग्यो है!

तप-त्याग रूंधीजग्यो है!

हित्यारो

जुलमी-अँधारो

सत्ता रै मोह गुमरायीज्यो

कृतध्न होयग्यो है!

निज रै मूळ नै काट’र

निज रै आपै नै

मिटाय रैयो है!

आपां, जोत रा अैनाण

दीवाळी आपणी ओळखाण

पूजा-तणी अखंडजोत...

ज्यां-पैली तो

अेक नौजुवान दीवो

होय उठ्यो विकराळ

घणी पीटतो झाळ

बोलण नै उकसीज्यो

कोई

धरधिराणी उणनै

आपरी मुंढेर उपराँ संजोयो हो

नांवसोक मूंफळी रो तोल

जिको नीमड़ग्यो

वो कैवणो चांवतो स्यात्

इतिहास मांय पीड़ है

जरूर!

पण थारो तप-तेज

छीजग्यो है!

गहण मांय गैयीजग्यो है उजास!

कठै है थारै कनै आतमबली-उपाव?

का राजनीत रा डांव...?

पुजीजता रैया थे थाळां मांय!

छितोकिया’र साळां मांय!

स्रोत
  • पोथी : कूख-पड़यै री पीड़ ,
  • सिरजक : किशोर कल्पनाकान्त ,
  • प्रकाशक : कल्पना लोक प्रकाशन
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