धरती री ई
एक भासा हुवै है, अबोल।
अै डूंगर, धोरिया नदी
अर चितरंग ताल अर अै झील
ईं रो व्याकरण है।
पग-पग ऊगतोड़ी घास
इण रा सबद,
बिरछ छोटी बात
खेता मांय ऊभी फसल
ईं री ‘कहाणियां’ है।
इण छोर सूं उण छोर
हरियांखी रो इकलग दौर
लाम्बी ख्यात।
सुरंगै फूलड़ा सूं सोंवती
मन मोंवती
जद आ
बीनणी सी सजी दिखै है।
आ दूहा कथै है
आ कविता लिखै है।