म्हैं देखूं

चूल्हा री बेवणी में बैठी छै मां

चींपिया सूं भोबर उकराळ

भूंगळी सूं फूंक देय चेतन करतोड़ी चूल्हौ!

गुड़ीमुड़ी व्हियोड़ी

ऊकड़ बैठ्योड़ी

पीड़ री पोटळी-सीक

कांई ठाह कांई पोवै छै

आपरै सपना रौ पलोतण लगाय

होळै-होळै

थोड़ीक ताळ में वा हेलौ मारेला-

''छोरां, सिरावण करलौ

कलेवौ त्यार छै।''

‘सिरावण’ अर ‘कलेवौ’ जैड़ा मायड़भासा रा सबद

रसोवड़ा रै कूणै-कूणै अर बारै अंगणाई लग

पसर जावैला

परभात री निरांयत में

बांग देवता कूकड़ा री गूंज ज्यूं

ताता-ताता खीच री सोरम छोडता

जिकां नै सुणतां

केई निरणा धाप नै डंकार लेवैला

थोड़ौक नेहचौ राखौ।

स्रोत
  • पोथी : अबोला ओळबा ,
  • सिरजक : चन्द्रप्रकाश देवल ,
  • प्रकाशक : सर्जना, बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम
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