आभ नै हाल

थिर रेवणो है

खासा ताळ

इणीज विध—

बिना छात रे घरां में रेवणिया खातर

धरती नै हाल

घूमणो है सूरज रै चौफैर

खासा ताळ

इणीज विध—

मिनख गतिसील राखण सारू!

आदमी नै हाल

बहस में अळूझ्यां रेवणो है

खासा ताल

इणीज विध—

कूड़ अर साच परखण वास्ते!

स्रोत
  • पोथी : काल अर आज रै विचै ,
  • सिरजक : सांवर दइया ,
  • प्रकाशक : धरती प्रकाशन ,
  • संस्करण : 1
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