सांवर दइया
सिरैनांव कवि-गद्यकार। राजस्थानी कहाणी नै नूवै ढंग में लावणिया।
सिरैनांव कवि-गद्यकार। राजस्थानी कहाणी नै नूवै ढंग में लावणिया।
आ सांस जियां
अेक दीवौ
आस्था
आस्था
भोर
हुवै रंग हजार
जद हरी करै
जायसी री पीड़
झाँसो
जुगा रा जुग बीत्या
काल अर आज रै बिच्चै
काल थे खुद
कविता सूं आगै
कोयलो इत्तो कालो को हुवै नीं
मांय तौ नागा ई
मिनख वास्ते
नुंवै बरस माथै
ओळाव
सावण री बादळ्यां
स्याणा लोगां सुणौ
थै जाणो हो
थारै हुवण री
तूं आइजै
ऊधौ हुयोड़ो रूंख देख'र