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सांवर दइया
सिरैनांव कवि-गद्यकार। राजस्थानी कहाणी नै नूवै ढंग में लावणिया।
सिरैनांव कवि-गद्यकार। राजस्थानी कहाणी नै नूवै ढंग में लावणिया।
निधन: 30 Jul 1992
राजस्थानी काव्य में जापानी छन्द हाइकू री सरूआत करणवाळा आधुनिक राजस्थानी साहित्य रा लूंठा लिखारा अर मूर्धन्य रचनाकार सांवर दइया रो जलम 10 अक्टूबर 1948 में बीकानेर में हुयो। श्री दइया री न्यारी न्यारी विधावां में 18 सूं बेसी पोथ्यां छप चुकी है। राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर अर राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर रै गणेशीलाल व्यास उस्ताद पद्य पुरस्कार सूं आदरीज्या थका सांवर दइया आखी उमर राजस्थानी री सेवा
कीन्ही। 44 बरस री उमर में आप राज रो देहान्त 31 जुलाई 1992 में बीकानेर में हुयो। एम.ए. बीएड तांई भणियोड़ा सांवर दइया राजस्थान शिक्षा विभाग में न्यारा न्यारा पदां पर काम कर्यो।
सन 1975 ई. में आपरो पैलो कहाणी संग्रै 'असवाड़े - पसवाड़े' छप्यो। आपरी सन 1980 में प्रकाशित कहाणी पोथी 'धरती कद ताई घूमैली' माथै राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर रो गद्य पुरस्कार ई मिळ्यो। 1984 ई में आपरी पोथी 'ओक दुनिया म्हारी' साहित्य अकादमी नई दिल्ली सूं पुरस्कृत हुई। इण पोथी रो साहित्य अकादमी नई दिल्ली सूं ई हिन्दी उल्थौ 'एक दुनिया मेरी भी शीर्षक सूं छप्प चुक्यो है। इण रै पछै सन 1987 में 'एक
ही जिल्द में' सिरैनांव आपरी हिन्दी पोथी प्रकाशित हुई। आपरै देहावसान पछै भी 'पोथी जिसी पोथी' नांव सू आपरो संग्रै पाठकां साम्ही आयो। सन 1991 में सांवर दइया 'उकरास' नाम सूं राजस्थानी अकादमी रै प्रतिनिधि कहाणी संकलण रो संपादन ई करयौं। 'उकरास' सिरैनांव पोथी लारलै कई बरसां से स्नातक स्तरीय पाठयक्रम मांय पढ़ाइजै।
पद्य मांय सांवर दइया री छवू सूं बेसी पोथ्यां छप चुकी है। आपरी लघुकवितावां रो संग्रै सन 1976 में ‘मनगत’ नांव सूं प्रकाशित हुयौ। दइया रो दूजो कविता संग्रै काल अर आज रै बिच्चै' खासो चर्चित रैयो। सन 1983 रै बरस, आखर री औकात' नांव सूं जापानी छंद हाइकू में आपरी कविता पोथी छपी जिणसूं राजस्थानी काव्य में नूंवै ढाळै रा प्रयोग पाठकां रै साम्ही आया। राजस्थानी भाषा साहित्य अर संस्कृति अकादमी बीकानेर सूं गणेशीलाल व्यास उस्ताद पद्य पुरस्कार आपरी पोथी 'हुवै रंग हजार' माथै सूंपीज्यौ। मरणोपरांत सांवर दइया री पंचलड़ी कवितावां 'आ सदी मिजळी मर सिरैनांव सूं छपी अर राजस्थानी साहित्य में थावो मुकाम राखै। सांवर दइया री रचनावां पारिवारिक संवेदनावां जूझती जूण, मानखै री कांस अर मिनखपणै री कपड़छाण करती दिक्खे अर पाठका नै मध्यवर्गीय चेतना अर दोघाचिंती सूं अरू बरू करै। सांवर दइया शिक्षा विभाग, राजस्थान री पत्रिकावा 'शिविरा' अर 'नया शिक्षक' रो ई
सकड़क संपादन करियौ। 'धरती कद तांई घूमैळी' सिरैनांव पोथी सांवर दइया री समकालीन राजस्थानी विकास जातरा में महताऊ पांवडो मानीजै।
सांवर दइया रो उल्थौ रै क्षेत्र में ई सागीड़ो काम मानीजै। अनिल जोशी रै गुजराती निबंधां रो राजस्थानी उल्थो साहित्य अकादमी सूं सन 2000 में दइयाजी रै देहान्त पछै छप्यौ। आदरजोग सांवर दइया री ओळू में आपरा सुपुत्र नीरज दइया वेब पत्रिका 'नेगचार' काढै अर राजस्थानी साहित्य अर संस्कृति रै विगसाव खातर काम करै।
सांवर दइया राजस्थानी कहाणी नै नूंवी धार देवणवाळा ऊरमावान कथाकार मानीजै। 44 बरस री छोटी उमर में भी आदरजोग दइया रो काम बड़ो मानीजै। सांवर दइया री कलम सूं मध्यमवर्गीय चेतना रो सांगोपांग चितराम निगै आवै। मानवीय मूल्यां री सबड़क ओळखाण करावंती सांवर दइया री कवितावां अर कहाणियां राजस्थानी संस्कृति अर साहित्य री काळजयी परम्परा नै पाळै–पोखै।