सिरैनांव कवि-गद्यकार। राजस्थानी कहाणी नै नूवै ढंग में लावणिया।
कविता सूं आगै
कोयलो इत्तो कालो को हुवै नीं
थै जाणो हो
भोर
स्याणा लोगां सुणौ
गळी जिसी गळी