कदी कर'र तो देख-
जतनो हेत छै
चांद को
बदलती तिथि का
अेकाकार सूं,
पतंगा को आग सूं,
बादळा को
बरसात सूं,
फूल को हेत छै
जस्यां-
महक अर रंग-रूप सूं,
तारां को ढळती
रात सूं,
सरमाती पत्तियां को
हवा की रफ्तार सूं,
जीव को भगवान सूं,
सांस को प्राण सूं ,
जतनो हेत छै-
माटी अर जड़ का
मेल मिलाप सूं,
पाणी का डबूला
अर पल भर का
बिखराव सूं,
याद को बिछोह सूं,
तरसबा को नसीब सूं,
घोंसळा का अेक-अेक
तिणका को
लगाव छै
चिड़िया सूं...
आरती को झालर सूं,
पालकी को मूरत सूं,
मन को मस्तिष्क सूं,
जस्यां सूरज को
हेत छै-
जग का चराचर सूं,
हवा को हेत छै
जीव होबा का
निसाण सूं,
मूरथ को मिलाण छै
रासि का गोचर सूं,
चोघडियां को
टैम-घड़ी सूं,
जतनो हेत छै
आंख को काजळ सूं,
मांग को सिंदूर सूं,
भगत को भगवान सूं,
आत्मा को निरंकार सूं,
म्हारो थारा प्रेम सूं,
कदी कर'र तो
देख म्हारा हिस्सा को
अहसास!