घणौ दु:ख देवै

बूढ़ी सड़क रो डौळ

लागै नगरपालिका री

काची मौत होगी होसी

तांगा आळै रो घोड़ो

पिटतो-पिटतो

खोदण लाग्यो अफसरसाही री कवर

आपरा घिरयोड़ा खुरां सूं

चालतां-चालतां

कंधा लुळग्या

अणखावणी उदासी रा बोझ सूं

घर चणग्या कैदखाना

खिड़की खुली है

पसीना री बदबू

फैलावण।

दोप’री

काळी मिरच सी

चरपरी लागै

डील रो चिड़पिड़ाट

भूंडो लागै आं उमस सूं

मरियोड़ा मकानां में।

उबासी लेवण लागी

पोळी में बैठी ठाली-बूली लुगायां

आगै अेक टांग लगाय’र

सोयग्यो

रामू-चनणा री पोथी

पढ़तो-पढ़तो दुकानदार।

गांव म्हानै

चोखो नीं लागै

गधा नै छेड़बा लागी

मांख्यां

नीमड़ा री ठंडी छियां में

कदै म्हानै लागै

म्हारो बींटो बांध’र कोई

म्हानै कोलतार री सड़क माथै

नांख दियो है

मैं अखबार नीं पढू

उणरै मांय म्हारी

कतल कर्योड़ी लास है

हत्या, मारपीट, जबरदस्ती

लडाई दंगो अर लोगां री फजीती

सोचूं हूं आज रो मिनख

उघाड़ो होग्यो ईं

सभ्यता रै जंगळ में।

तावड़ै में

धोबी रा कपडां री कतार दिखै है

कोई रंडी त्यारी कर री

आपरा नाज नखरां री

बन्द गळी रै छोटैक कोठ में

ऊँघै है सिपाही

चौरावा पर खड़यो-खड़यो

ताळा लाग्योड़ा मकान रै सामैं

ऊभो है अेक पावणों

ठग्योड़ो सो

दोप’री कटखावणी सी लागै।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थानी-1 ,
  • सिरजक : गोरधन सिंह शेखावत ,
  • संपादक : तेजसिंह जोधा
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