गवर नै

कदैई घर नीं मिळै मा!

मिळै मिन्दर

कै समन्दर...

इण सपनै नै

मती सूंप

आंखियां!

स्रोत
  • पोथी : घर तौ एक नाम है भरोसै रौ ,
  • सिरजक : अर्जुनदेव चारण ,
  • प्रकाशक : रम्मत प्रकाशन, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
जुड़्योड़ा विसै