थै जीमो छप्पन भोग
अर बैठो मलमल री जाजम पर
चारो दिन बीते ऊँचा ठाढा महला मांय
अर रात नाच, रम अर चौपड़ पासे मांय
थे लड़ो जुद्ध बैरिया सूं
हाथी-घोड़ा पर चढ़या
इतिहास रा पाना
गावै थारै जबर जोश री कहाणियां
थारी मुळक सूं हरख जावै नगरी
अर थारी फीकाई सूं मिट जावै
मिनखा रा स्सै नांव निशान
म्हे थारै आंख्या रै से'न साथै मरया-खप्या
जुद्ध भूमि मांय थारै आगै-लारै ढाळ बण्या
लड़ता रिया...
कदै भूख सूं दळीज़्या तो कदै तीस सूं मरया
म्हारी पीढ्यां मिटगी थारा महल माळिया चिणती
म्हारा! हाकमा!
थारै हुकम रै साथै खून
पाणी मिस बहा नांख्यो
पण आखै जग मांय थारो ई नांव गूंजे,
थे ईज गढ़-महलां रा कारीगर
थे ईज युद्ध भूमि रा सूरमा,
इतिहास री पोथ्यां मांय
थारी ई जीत री अणगूंथ गाथावां है
म्हारौ कठै ई नांव ही नीं
स्यात म्हारी अबखायां री थारै साम्ही कोई कीमत नीं
पण म्हूं पूछूं थां सूं एक सवाल
सूरमा थे हो के म्हे?